क्या स्वाद है जिंदगी में

क्या स्वाद है जिंदगी में
क्या स्वाद है जिंदगी में

शनिवार, 4 मई 2019

ग्वारफली की ढ़ोकली...



ग्वारफली की ढ़ोकली....

एक कटोरी गेहूँ के आटे में एक चौथाई कटोरी बेसन मिलायें. एक छोटा चम्मच तेल डालकर हाथ से अच्छी तरह मिलायें.
नमक, अजवाइन डालकर पानी हाथों से  आटा मिलाते हुए गूँधें.  रोटी के आटे की तरह ज्यादा नहीं गूँधना है. इसकी छोटी छोटी लोईयाँ बनाकर चपटा करें और बीच में गड्ढ़ा करें. एक भगौने में पानी गरम रखें. उबाल आने पर सभी ढ़ोकलियाँ एक एक कर डाल दें. पाँच से दस मिनट तक उबलने दें. पकने पर ढ़ोकलियाँ ऊपर आ जायेंगी. निकालकर अलग रख लें. पानी फेंके नहीं.
ग्वारफली को छोटे टुकड़ों में काटें. कड़ाही मे तेल गरम कर राई, अजवाइन, जीरे का छौंक लगायें. हरी मिर्च बारीक काटकर डालें. अब ग्वारफली डालें.  नमक, मिर्च, हल्दी, सूखा धनिया डालें. अच्छी तरह मिलाकर थोड़ा पानी डालकर ढ़क दें. टमाटर छोटे टुकड़ों में काटें या पीस लेंं. फली नरम होने  टमाटर डालें. अच्छी तरह पकने पर ढ़ोकली और जिस पानी में उबाला था ,वह भी मिला दें.  गरम मसाला डालें. सूखी मेथी को हाथ से मसल कर डालें. बारीक कटे प्याज और हरा धनिया से गार्निश कर परोसें.

नोट- छौंक लगाने में साबुत गरम मसाला  भी डाल सकते हैं. इसके अलावा  प्याज , लहसुन आदि पीस कर या कूट कर भी डाल सकते हैं.

शनिवार, 6 अप्रैल 2019

सप्तरूचिलू (युगादि पर बनाये जाने वाला विशेष प्रसाद)

 पतझड़ के मौसम में सब पुराने पत्ते झड़ जाने के बाद नीम कच्ची नाजुक कोपलों से भर जाता है और साथ ही उस पर बौर (फूल) लद जाते हैं. नीम के आयुर्वेदिक गुणों से हम भारतीय भली भाँति परीचित हैं. नीम की दातौन ने वर्षों हमारे दाँतों की रक्षा की है तो चैत्र के महीने में कोमल कोपलों का सेवन  वर्ष भर के लिए हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को संरक्षित करता है. अपने दुर्लभ गुणों के कारण नीम आदि वृक्षों को परंपरा से जोड़कर स्वस्थ रखने की प्रक्रिया भारतीय संस्कारों में जन्मघूँटी की तरह दी गई है.
स्वस्थ रहने के प्राकृतिक प्रयोगों की परंपरा  में  इसी प्रकार नव संवत्सर (युगादि/उगादि) पर दक्षिण भारत में प्रसाद रूप में सप्तरूचिलू बनाने की प्रथा है. तीखा,खट्टा, मीठा, कड़वा,नमकीन आदि सात प्रकार के स्वाद एक ही साथ शामिल होने के कारण सप्तरूचिलू  नाम दिया गया. इस मौसम में आसानी से और ताजा उपलब्ध स्वास्थ्यवर्धक पदार्थों को लेकर बनाया जाने वाला सप्तरूचिलू प्रकृति के आशीष रूप में ई्श्वर को अर्पित कर प्रसाद रूप में  ग्रहण किया जाता है.
 





सामग्री -
कच्ची केरी
इमली
गुड़
नमक
लाल मिर्च पिसी हुई
नीम के फूल
शहद

विधि-
कच्ची केरी को कद्दूकस कर लें या बारीक टुकड़ों में काटें. इमली को पानी में भिगोकर बीज निकालकर गाढ़ा घोल  (पल्प) बना लें.
गुड़ के बारीक टुकड़े कर लें . अब सभी सामग्री को शहद मिलाते हुए चम्मच से अच्छी तरह मिला लें. चटनी तैयार है.

युगादि पर भीगी हुई मूँग की दाल में आम (केरी) के कटे टुकड़े , नमक, मिर्च आदि मिलाकर भोग बनाया जाता है. साथ ही गुड़ का सादा पानी और सप्तरूचिलू  चटनी भी भोग अर्पण कर प्रसाद  रूप में ली और वितरित की जाती है.


शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

बेसन के करैले.....

   
बेसन के करैले---
सामग्री
करैले बनाने के लिए
एक कटोरी बेसन
हींग चुटकी भर
जीरा चौथाई चम्मच
नमक एक चम्मच
लाल मिर्च पिसी एक चम्मच
तेल एक छोटी चम्मच
गुनगुना पानी
बेसन में सब सामग्री मिलाकर गुनगुने पानी से अँगुलियों से मिलाते हुए गूँधें. बेसन की छोटी लोई को बीच से दबाकर  किनारों से चपटा करते हुए नाव सी आकृति दें. दो गोलों को हाथ से बेलन के आकार में लंबा करें. खौलते पिनी में बेसन से बने करैले और गट्टे डाल दें. अच्छी तरह पकने पर उतार लें. पानी से करैले और गट्टे उतार लें. पानी को फेंके नहीं. यह ग्रेवी बनाने के काम आयेगा.
ग्रेवी के लिए सामग्री -
मूँगफली भुनी और छिलके उतरी हुई 2 चम्मच
तिल एक चम्मच (कड़ाही मेंं सूखा भून लें.)
नारियल पाउडर एक चम्मच (हल्का सा भूनें. ध्यान रहे कि रंग न बदले)
धनिया पिसा एक चम्मच
नमक ऐक चम्मच
मिर्च एक चम्मच
हल्दी आधा चम्मच
इमली थोड़ी सी बीज निकाली हुई
जीरा 1/2चम्मच
राई 1/2 चम्मच
हींग चुटकी भर
मीठा नीम सात आठ पत्तियाँ
सूखी लाल मिर्च एक
हरी मिर्च एक
अदरक छोटा टुकड़ा
गरम मसाला आधा चम्मच
तेल  एक बड़ा चम्मच

तिल, मूँगफली और नारियल को दरदरा पीस लें. हरी मिर्च और अदरक बारीक काट लें. इमली को गरम पानी में भिगोकर मसल लें.
कड़ाही में तेल गरम करें. राई, हींग और मीठा नीम और साबुत लाल मिर्च हाथ से तोड़कर डालें. राई तड़कने पर तिल, मूँगफली का मसाला डालें . इमली का पल्प डालें. थोड़ा सा पानी डालें. अब नमक, मिर्च, हल्दी भी डाले और उबाल आने दें. फिर बेसन के करैले साबुत और गट्टों को गोल काटकर डालें. थोड़ा चलाकर करैले और गट्टे उबाला हुआ पानी भी डाल दें. ग्रेवी गाढ़ी होने पर गरम मसाला डालें. बारीक कटा धनिया डाल दें. चावल या चपाती के साथ परोसें.

नोट-
पारंपरिक राजस्थानी भोजन में गट्टे की सब्जी का विशेष स्थान है. गट्टे की सब्जी की एकरसता से उब गये हों तो बेसन की यह भरवाँ सब्जी बनाकर देखें. भरवाँ करैले के मसाले के साथ यह बेसन के करैले बनायें। स्वाद लाजवाब होगा