क्या स्वाद है जिंदगी में

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सोमवार, 11 जून 2018

कढ़ी ढ़ोकला....

राजस्थानी भोजन में कढ़ी का मेल चावल के साथ माना जाता है जबकि दाल का बाटी के साथ.
गुजरात में फाफ़डा, ढोकला, समोसा, खिचडी आदि के साथ कढ़ी परोसी जाती है.  इसके साथ मक्का या गेहूँ के आटे के ढोकले बनाये जाते हैं.
जोधपुर के परम्परागत खाने में कढ़ी ढ़ोकले का मेल लोकप्रिय है.

कढ़ी ढ़ोकला
कढ़ी  की रेसिपी अलग से बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि दाल की ही तरह यह भी लगभग प्रत्येक घर में बनाई खाई जाती है. दही /छाछ और बेसन को मिलाकर नमक, हल्दी, मिर्च डालकर कई उबाल आने तक धीमी और मध्यम आँच पर पकाना है. फिर कड़ाही या पैन में तेल लेकर राई, हींग, मीठा नीम और दानामेथी का तड़का लगाकर कढ़ी में मिला कर ढ़क दें.

ढ़ोकला बनाने के लिए

सामग्री -
2 कटोरी आटा
1बडी चम्मच घी या तेल मोयन के लिये
1 छोटा चम्मच नमक
1 छोटा चम्मच अजवाईन
1 छोटी चम्मच खाने का सोडा
1 बडी चम्मच  अदरक, लहसुन, हरी मिर्च का बारीक पिसा पेस्ट (ऐच्छिक)
आटे में तेल या घी को अच्छी तरह हाथ से मसलते हुए  मिलायें. इसमें नमक, अजवाईन , सोडा डाल कर फ़िर से मिलायें. अब अदरक , लहसुन, हरी मिर्च का पिसा हुआ मसाला मिलायें और पानी डालकर हलके हाथ से गूंध लें. इसे रोटी के आटे की तरह अधिक नहीं गूंधना है, बस हलके हाथ से मिलाना भर है. हाथ से थपक कर छोटे गोले बनाये  और हथेली पर पूड़ी के आकार में मगर थोडा मोटा फैला दें. बीच में एक अँगूली जितना छेद करें.
अब भाप में  इडली या खम्मन की तरह पकायें.  चाकू लगा कर चेक करें.यदि पक गया होगा तो उससे चिपकेगा नहीं. पकने पर प्लेट में निकालें और उपर से घी लगायें. कढी के साथ परोसें.
यदि मक्के के आटे से बना रहे हैं तो सोडा के स्थान पर बहुत कम मात्रा में पापड़ खार लें और गूंथने के लिये गुनगुने पानी का प्रयोग करें.