शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

आमेर की गूंजी और गाँठिये ......

जयपुर एक खूबसूरत पर्यटन  स्थल है और अपने देश ही नहीं ,  विदेशों में भी ख़ासा लोकप्रिय है। आंकड़ों के बिना भी  यहाँ की सड़कों पर घूमते सैलानियों को देख कर ही  अनुमान लगाया जा सकता है। कुछ समय के अंतराल में अपने शहर की खूबसूरती को पर्यटक की तरह निहारने में बड़ा आनंद है.  तेजी से चल रहे विस्तारण और विकास कार्यों  के कारण हर बार और अधिक खूबसूरत और नवीन नजर आता है।  कल ही जब आमेर होकर गुजरना पड़ा तो आँखें ठहर ही गयी पर्यटकों की मानिंद। आमेर महल की पृष्ठभूमि में  मावठे का साफ़ पारदर्शी जल जिसमे खूबसूरत बड़ी मछलियों का किलोल लुभा रहा था. 
 आमेर महल की चढ़ाई चढ़ते ही जयपुर के कछवाहा राजवंश   की कुलदेवी शिलामाता का मंदिर है। जयपुर के राजा मानसिंह बंगाल से मूर्ति लेकर आये थे हालाँकि और कई कथाएं भी प्रचलित हैं।  इस मंदिर की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यहाँ भोग लगाने के बाद ही मंदिर के पट खोले जाते हैं।  माता को गूंजी का भोग ही लगाया जाता है।  मावे और चीनी /बूरे  से बनी इस  मिठाई का स्वाद पेड़े जैसा ही होता है।  
आमेर घूमने आने वाले महल के आसपास  दुकानों से मावे की गूंजी और बेसन के गांठिए (नमकीन ) जरूर लेना चाहते हैं।  यदि आप आमेर भ्रमण कर चुके हैं तो इससे अवश्य परिचित होंगे और यदि आपको आमेर भ्रमण का मौका  मिले तो इसका स्वाद लेने से न चूकें !